Friday, November 14, 2008

जिंदगी ग़मों का पुलिंदा है ... ... !!!


दोस्तों,
जिंदगी एक ऐसी जंग है जिसे न तो जीता जा सकता है और न ही मैदान छोड़कर भागा जा सकता है. केवल और केवल रण क्षेत्र में ही रहकर लड़ना पड़ता है और जिंदगी जीना पड़ता है.